सुप्रीम कोर्ट दिवाली की छुट्टी के बाद इस बात पर विचार करेगा कि क्या असम राइफल्स कर्मियों के खिलाफ पाॅक्सो एक्ट से जुड़े मामले की सुनवाई पाॅक्सो कोर्ट में हो या फिर असम राइफल्स कोर्ट में हो। जस्टिस पंकज मिथल और आर महादेवन ने मंगलवार को नागालैंड सरकार की याचिका सुनवाई के लिए मंजूर कर ली और 2022 के गुवाहटी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट मामले की अंतिम सुनवाई दिवाली की छुट्टी के बाद करेगा। मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में विचार करने का संक्षिप्त बिंदु यह है कि क्या असम राइफल्स कर्मियों के खिलाफ पाॅक्सो मामलों की सुनवाई विशेष पाॅक्सो अदालत में होनी चाहिए या असम राइफल्स कोर्ट में की जानी चाहिए।
दरअसल, असम राइफल्स के एक अधिकारी के खिलाफ दायर मामले से जुड़ा है, जो एक सरकारी स्कूल के पास एक सड़क उद्घाटन में ड्यूटी पर था। उस पर आरोप था कि उसने मिडिल स्कूल में पढ़ने वाली एक लड़की के साथ स्कूल परिसर में छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न की। लड़की की शिकायत पर अधिकारी के खिलाफ IPC की धारा 354 के साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मामले की सुनवाई नागालैंड में दीमापुर के फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट में की गई। हालांकि, असम राइफल्स के एक उप महानिरीक्षक ने आरोपी अधिकारी को सौंपने के लिए ट्रायल कोर्ट के सामने एक याचिका दायर की ताकि उस पर असम राइफल्स कोर्ट के समक्ष मुकदमा चलाया जा सके।
पाॅक्सो कोर्ट ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी थी कि असम राइफल्स कोर्ट एक सामान्य आपराधिक अदालत है,जिसे पाॅक्सो एक्ट के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष शक्तियां प्राप्त नहीं हैं। इसके बाद गुवाहाटी हाई कोर्ट ने यह कहते हुए पाॅक्सो कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था कि असम राइफल्स एक्ट 2006 और पाॅक्सो एक्ट के बीच कोई सीधा टकराव नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा था कि पाॅक्सो एक्ट के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो असम राइफल्स कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को IPC या पाॅक्सो एक्ट के तहत अपराधों की सुनवाई से रोकता हो। इस हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ नागालैंड सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।