जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिली। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वेकेशन बेंच ने अंतरिम जमानत पर बुधवार के लिए सुनवाई टाल दी।साथ ही हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने भी सुप्रीम कोर्ट से कुछ सवालों का जवाब देने के लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन के वकील से पूछा कि ट्रायल कोर्ट की ओर से अपराध का संज्ञान लेने के बाद उन्होंने किस तरह से गिरफ्तारी को चुनौती दी?
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने उनसे पूछा कि यदि याचिका हाई कोर्ट में लंबित है तो उन्होंने जमानत याचिका क्यों दायर की? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि हमें संतुष्ट कीजिए कि ऐसा क्या है जो हमें अंतरिम जमानत देनी चाहिए?। कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी के लोगों के पास केवल उन लोगों के बयान दर्ज हैं, जिन्होंने कहा है कि सामान हेमंत सोरेन का है।अवैध रूप से कब्जा कब, क्या, किस साल में आदि का उनके पास कोई सबूत नहीं है, उनके पास केवल मौखिक सबूत हैं।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने किए सवाल
जस्टिस दत्ता ने कपिल सिब्बल से पूछा कि आपकी रिट याचिका HC ने 3 मई को खारिज कर दी थी और फिर आपने 15 अप्रैल को जमानत के लिए आवेदन किया था। क्या आपने हाई कोर्ट से अनुमति ली कि आप फैसला नहीं सुना रहे हैं तो हम जमानत के लिए आगे बढ़ रहे हैं? इस पर सिब्बल ने कहा उन्होंने हाई कोर्ट से इसके लिए नहीं पूछा था
ED की ओर से पेश ASG एएसी राजू ने कहा कि आप एक साथ दो घोड़ों की सवारी कर रहे हैं, जिसकी इस अदालत ने कई मौकों पर निंदा की है। उन्होंने कहा कि 15 अप्रैल 2024 को सोरेन ने जमानत याचिका दायर की थी। 13 मई 2024 को इसी आरोपों के आधार पर जमानत याचिका खारिज हो गई थी। PMLA के तहत सिर्फ कब्ज़ा ही पर्याप्त है स्वामित्व की आवश्यकता नहीं है।