वक़्फ संशोधित कानून 2025 के बाद वक़्फ संशोधित क़ानून 1995 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने इस अर्जी को 1995 के वक्फ कानून को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है। दरअसल, निखिल उपाध्याय की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि वक़्फ क़ानून में संशोधन के बावजूद क़ानून के विभिन्न प्रावधान असंवैधानिक है और मुस्लिम समुदाय को सरकारी और ग़ैर मुस्लिमो की संपत्ति को हथियाने का अधिकार देते है।
अर्जी में कहा गया है कि वक़्फ़ क़ानून अगर जारी भी रहता है कि यह कानून ग़ैर मुस्लिमों पर नहीं लागू होना चाहिए। कोर्ट आगे इस अर्जी पर 1995 के वक़्फ़ क़ानून को चुनौती देने वाली पहले से लंबित हरिशंकर जैन और पारुल खेड़ा की याचिकाओं के साथ सुनवाई करेगा।
आपको बता दें कि हाल ही में वक़्त संशोधित कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में अंतरिम आदेश देगा। गौरतलब है कि वक्फ संशोधित कानून 2025 के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान CJI बीआर गवई ने साफ किया था कि वह 2025 कानून के साथ 1995 कानून के खिलाफ याचिकाओं पर नहीं करेगा।