ट्रांसजेंडर पहचान प्रमाणपत्र को पैन के लिए वैध दस्तावेज माना जाएगा, दरअसल, केंद्र सरकार के इस सैद्धांतिक रूप से अनुरोध को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार स्पष्टता लाने के लिए इसे नियमों में भी शामिल करने पर विचार कर सकती है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम 2019 के तहत जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी ‘पहचान प्रमाण पत्र’ को पैन कार्ड के आवेदन करने के लिए वैध दस्तावेज माना जाएगा।
जस्टिस सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि वर्तमान याचिका में उठाई गई सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है। जिसमें यह मांग भी शामिल है कि प्रमाण पत्र जारी किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम 2019 की धारा 6/7 के तहत जारी किया जाने वाला आवेदन स्वीकार्य होगा, यदि वह जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया हो। दरअसल एक ट्रांसजेंडर द्वारा दायर 2018 की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके पैन को आधार से जोड़ने का प्रयास विफल हो गया है क्योंकि पैन कार्ड में आधार कार्ड के विपरीत कोई थर्ड जेंडर का विकल्प नहीं है।
याचिकाकर्ता ने याचिका मे आधार कार्ड पर उपलब्ध श्रेणियों के साथ संरेखित करते हुए थर्ड जेंडर विकल्प को शामिल करने के लिए पैन कार्ड के लिए आवेदन पत्र को अपडेट करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि आधार कार्ड के विपरीत पैन कार्ड आवेदन पत्र पर थर्ड जेंडर विकल्प प्रदान न करने की वजह से दोनों दस्तावेजों को जोड़ने में कठिनाइयों का कारण बन गया।