दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण से जुड़े पराली जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिव कोर्ट में पेश हुए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकारों ये याद रखना चाहिए कि अनुच्छेद 21 के तहत सभी नागरिकों को प्रदूषण मुक्त जीवन जीने का अधिकार है और प्रदूषण पर लगाम ना लगने के चलते मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। कोर्ट में भी ये सुनवाई नागरिकों के इस अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए हो रही है। सरकारों की जवाबदेही बनती है कि कैसे वो प्रदूषण मुक्त वातावरण देकर नागरिको के इस मौलिक अधिकार की रक्षा करें।
जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पराली जलाने वालों पर दोनों राज्यों में सेलेक्टिव एक्शन हो रहा है। कुछ केस में FIR दर्ज की गई है तो कुछ में जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जा रहा है। जुर्माना जो वसूला जा रहा है, वो भी मामूली है। कोर्ट ने कहा कि दोनों ही राज्यों में पराली जलाने वालो के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो रही है, साफ है कि इसके पीछे राजनीतिक वजह है। मामूली जुर्माना लगाकर जिस तरह से लोगो को छोड़ा जा रहा है, आप पराली जलाने वाले को लाइसेंस दे रहे है कि पराली जलाए और इतना जुर्माना देकर बच जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि पंजाब सरकार के प्रदूषण के मद्देनजर जो फंड उनसे मांगे है, केंद्र सरकार उसपर दो हफ्ते में फैसला ले। वहीं एमाइकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में 13 हॉटस्पॉट है जहां प्रदूषण ज्यादा हो रहा है इसकी वजह कूडा जलना है, फिलहाल कोर्ट मामले पर अगली सुनवाई 4 नवंबर को करेगा।
LIVE REPORT: जानिए शुरू से लेकर अंत तक सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या रही मुख्य बातें…
सुनवाई शुरू होते ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने सिस्टम नहीं बनाया। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम शक्तिहीन हो चुका है। धारा 15 में संशोधन करके दंड की जगह जुर्माना लगा दिया है और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा सकता। इस पर केन्द्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि दस दिनो के भीतर धारा 15 जिसमें जुर्माने से लेकर 5 साल की सजा का प्रावधान है उसे लागू कर दिया जाएगा। केन्द्र सरकार ने कहा कि हमने दोनों राज्यों हरियाणा और पंजाब के सचिव पर्यावरण, अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उन्होंने उसपर अपने जवाब दाखिल किए हैं। जस्टिस ओका ने कहा यह परेशान करने वाली बात है कानून आपको मुकदमा चलाने की अनुमति देता है। हमारे आदेश हैं कि वे लगातार आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। फिर भी आप सिर्फ़ नोटिस जारी कर रहे हैं।
वही ASG ने कोर्ट को बताया कि पंजाब-हरियाणा ने पराली जलने की घटना को कम करने के लिए व्यापक कदम उठाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम जानते है कि FIR किन धाराओं में दर्ज हुई है। कोई भी मामले को लेकर गंभीर नहीं है। कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पिछली बार झूठा बयान दिया गया था कि ट्रैक्टर और ड्राइवरों के लिए फंड के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। कोर्ट ने चीफ सेकेट्री से पूछा कि एडवोकेट जरनल को गलत जानकारी दी?आखिर य़ह किसने कहने पर हुआ है? हम इसके लिए आपके खिलाफ आपराधिक अवमानना की करवाई करेंगे। कोर्ट ने पंजाब के वकील से पूछा कि वह कौन अधिकारी है जिसने आपको यह कहने के लिए कहा? हम उसके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि कौन से ऑफिसर के कहने पर एडवोकेट जरनल को गलत जानकारी बताई गई। हर कोई मामले को हल्के में ले रहा है। कोई भी कुछ भी बयान दे रहा है। हम कड़ी करवाई करेंगे। कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि आखिर पंजाब सरकार की तरफ से क्या करवाई हुई है? क्या वायु प्रदूषण कंट्रोल एक्ट के तहत कोई कार्यवाई हुई? कोर्ट ने कहा हमारे तीन साल पहले दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा। पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंहवी ने कोर्ट को बताया कि पराली जलाने के मामले मे 44 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
इस पर कोर्ट ने पूछा कि आपने जो 44 मुकदमे दर्ज किए है उनमें किसी के खिलाफ करवाई हुई? कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि इस साल परली जलाने की कुल कितनी घटनाएं है? पंजाब ने बताया कि कुल 1510 घटनाएं रिपोर्ट हुई है। कोर्ट ने पूछा कि उनमें कितनी FIR दर्ज हुई है? पंजाब सरकार ने कहा 1084 FIR दर्ज हुई है। कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि 10 जून के CAQM के आदेश के बावजूद राज्य ने नोडल और क्लस्टर अधिकारी नहीं नियुक्त किए गए अपने हलफनामे मे इसका जिक्र भी नहीं किया है। आप बता सकते है कि ग्राम नोडल अधिकारी और क्लस्टर अधिकारी की नियुक्ति कहां हुई है? अगर इन अधिकारियों की नियुक्ति हुई है तो य़ह बताइए कि इन अधिकारियों ने क्या किया है?आपके पिछले हलफनामे में इस बारे में कुछ नहीं लिखा था। कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बाद भी कमिटी का गठन दो सालों से क्यों नहीं किया। इसका क्या जवाब है आपके पास?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप पराली जलाने वालों पर जुर्माना कम लगा रहे है? कोर्ट ने कहा कि आपने एक तिहाई लोगों से जुर्माना वसूला है? आपके द्वारा 50 फ़ीसदी पराली जलाने वालों से भी जुर्माना नहीं वसूला गया है। कोर्ट ने कहा कि आपने केवल 470 पराली जलाने वाले लोगों से क्यों जुर्माना लगाया है? आपने 1084 में से केवल 470 पराली जलाने वाले लोगों पर ही क्यों मामूली जुर्माना लगाया? बाकी बचे हुए 600 लोगों से जुर्माना क्यों नहीं लिया? आपने पिछले तीन सालों से कोई करवाई नहीं की। कोर्ट ने पंजाब से पूछा कि कितना जुर्माना लगाया गया है? पंजाब 417 लोगों से 11 लाख रुपए वसूले गए। इस पर कोर्ट ने पूछा प्रत्येक उल्लंघनकर्ता से कितनी राशि वसूल की गई? पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया कि यह अलग-अलग है। हम औसतन 2500 -5000 रुपए वसूल करते हुआ।
कोर्ट ने कहा आप नाममात्र जुर्माना लगा कर लोगों को नियम तोडने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है। वही कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा कि जुर्माना बढ़ाए जाने पर विचार कीजिए। कोर्ट अब हरियाणा को लेकर सुनवाई करते हुए के चीफ सेकेट्री से पूछा अप्रैल से अब तक कितने FIR दर्ज हुए है? हरियाणा के चीफ सेकेट्री ने बताया कि 200 FIR दर्ज की गई है। उन्होंने कोर्ट को य़ह भी बताया कि हर स्तर पर हमने नोडल ऑफिस नियुक्त किए है। जिनकी संख्या पांच हजार से भी ज्यादा है। हमने 2021 से ही इसकी शुरुवात की है। हमने 32 FIR दर्ज की है जबकि 419 पराली जलाने की अभी तक घटनाएं हुई है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि आप थोड़ी देर पहले 317 कह रहे थे फिर आप 419 कह रहे है। कोर्ट ने हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को फटकार लगाते हुए कहा कि आप आंख मे धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा हरियाणा सरकार आई वॉश का काम कर रही है वह कुछ लोगो पर FIR और कुछ पर जुर्माना लगा रही है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा कि आप जानबूझकर धारा 15 के तहत जुर्माना वसूल रहे हैं ताकि बाद में अपील के जरिए उसे खारिज किया जा सके। हरियाणा सरकार की तरफ से कहा गया कि हम हर मामले में FIR दर्ज करते हैं। पहले 10 हजार मामलों होते थे अब हम इसे 400 तक कम कर दिया है। कोर्ट ने कहा यह सब बकवास है। आपने कोई नीति नही बनाई है?
आप कुछ लोगों को गिरफ्तार करते है लेकिन कुछ पर केवल जुर्माना लगाया जाता है? हरियाणा सरकार ने कहा ऐसा नहीं है। सरकार ने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो बार-बार अपराध करते हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो जुर्माना देने से बचते हैं। हमने दोनों पर कार्वाई की है। कोर्ट ने कहा कि हमें इस बारे में बहुत संदेह है।
कोर्ट ने हरियाणा सरकार के आंकडो पर सवाल उठाते हुए कहा कि कम संख्या का मतलब है कि आप इसे रिकॉर्ड पर नहीं ले रहे हैं। आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। आप बताए कि 10 हजार मामलों से कैसे 400 तक आ सकता है? हरियाणा सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि हमने पराली के डिस्पोजल के लिए मशीनें दी हैं। जिससे पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने CAQM से कहा कि मुआवज़ा निर्धारित करने के लिए CAQM द्वारा धारा 15 की शक्ति का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता? मुआवज़े पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। CAQM ने कहा कि हम पुनर्विचार करेंगे।एमिकस ने कोर्ट से कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों को दोषी ठहराया जाना चाहिए। क्योंकि इतने सालों से य़ह सिर्फ बयानबाजी कर रहे है।
CAQM ने कहा कि यह पहली बार है कि हम धारा 14 के तहत कदम उठा रहे हैं लेकिन हम उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाना चाहते क्योंकि य़ह वो अधिकारी हैं जिनसे हमें काम करवाना है लेकिन हमने नोटिस जारी किए हैं। हम उन पर की गई कार्रवाई से कोर्ट को अवगत कराएंगे। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण से जुड़े मामले में जबतक कठोर फैसला नहीं लिया जाएगा तब तक इस मामले मे कुछ नहीं होने वाला है।कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को लेकर हम हर साल आदेश देते है लेकिन जमीनी हकीकत नहीं बदल रही है। इसलिए अब वक़्त आ गया है कि इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से धारा15 मे संशोधन करे और जुर्माना बढाया जाए।