सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस बीआर गवई देश के 52वें चीफ जस्टिस बन गए हैं। बुधवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को CJI पद की शपथ दिलाई। देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस भी जस्टिस बीआर गवई बन गए है, साथ ही जस्टिस बीआर गवई देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस भी है। 52वें CJI पद की शपथ लेने के बाद जस्टिस बीआर गवई ने अपनी मां के पैर छुए। दरअसल, बुधवार को राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह हुआ। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृह मंत्री अमित शाह के साथ जस्टिस गवई की मां कमलताई गवई भी मौजूद रहीं।

आपको बता दें कि जस्टिस गवई का कार्यकाल 6 महीने का रहेगा। 23 नवंबर को 65 वर्ष की आयु होने पर जस्टिस गवई का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्त हुए थे। महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को जस्टिस गवई का जन्म हुआ था। 14 नवंबर 2003 को बाॅम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। जस्टिस गवई 12 नवंबर 2005 को हाई कोर्ट के स्थाई जज बने थे। जस्टिस गवई 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए थे।
अपने कार्यकाल में CJI गवई वक्फ कानून समेत कई अहम मामलों की सुनवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट में अपने 6 वर्षों के कार्यकाल में जस्टिस गवई कई महत्वपूर्ण पीठों का हिस्सा रहे हैं, उन पीठों ने अहम फैसले सुनाए हैं, उनमें बुलडोजर कार्रवाई की निंदा करने और ऐसी प्रवृत्तियों पर नियंत्रण के लिए कड़े दिशा-निर्देश निर्धारित करने वाले आदेश शामिल हैं। जस्टिस गवई उन संविधान पीठों का भी हिस्सा रहे, जिन्होंने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को वैध ठहराया, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया और 2016 की नोटबंदी को संवैधानिक बताया था।