सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से जारी एक आदेश में उन विवादास्पद टिप्पणियों को हटाने का निर्देश दिया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की गई थी। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि हम हाई कोर्ट की ओर से की गई टिप्पणी से आहत है। CJI ने आगे कहा कि ये टिप्पणी न सिर्फ गैरजरूरी है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ हाई कोर्ट की गरिमा को भी कम करने वाली है, अदालत के फैसले से कोई पक्षकार तो असंतुष्ट हो सकता है, लेकिन जज कभी भी अपने से उच्च संवैधानिक फोरम की ओर से पारित आदेश पर असंतोष नहीं जाहिर कर सकते।सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जज को नसीहत देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के आदेशों का अनुपालन पसंद का मामला नहीं है, बल्कि न्यायिक अनुशासन का मामला है।
दरअसल, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजबीर सहरावत ने 17 जुलाई को दिए अपने आदेश में एक केस में हाई कोर्ट की ओर शुरु की गई अवमानना कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी। बुधवार को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे कोई कार्रवाई से परहेज करते हुए उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में जज सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश पर कोई बात करते वक्त ज़रूरी सावधानी बरतेंगे।
बुधवार को ही सुनवाई के दौरान 17 जुलाई के इस आदेश के बाद जस्टिस सहरावत की एक अन्य मामले में की गई सुनवाई के वायरल वीडियो का भी जिक्र आया। इस वीडियो में उन्होंने डिवीजन बेंच के आदेश को बकवास करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया था। CJI ने कहा कि सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में जजों की सुनवाई के दौरान ज़रूरी एहतियात बरतनी चाहिए और ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए जो न्यायिक प्रकिया को नुकसान पहुंचाए।