सतलुज-यमुना लिंक यानि SYL नहर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि ये अदालत के आदेशों की अवहेलना है, जब कोर्ट ने नहर के निर्माण का आदेश दिया तो आपने अधिग्रहीत जमीन वापस कैसे कर दी। जस्टिस बीआर गवई ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि ये मनमानी नहीं तो क्या है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों से कहा कि वे सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए केंद्र का सहयोग करें। अगर समाधान नहीं निकला तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 13 अगस्त को सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि मामले के राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं, कुछ करना होगा। पंजाब में नहर का निर्माण करना होगा। हमें परेशान करने वाला आदेश देने के लिए बाध्य न करें। पंजाब सरकार को सहयोग करना होगा। आप मिलकर मामले का हल निकाले, हमें कोई सख्त आदेश जारी करने पर मजबूर न करें। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पंजाब और हरियाणा के बीच बातचीत जारी रखकर समाधान निकालने का निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकील श्याम दीवान ने कहा कि बातचीत से कोई समाधान नहीं हो पा रहा है, जहां तक बात नहर के निर्माण की है हरियाणा ने अपने इलाके का काम पूरा कर लिया है। पानी नहीं छोड़ा जाना एक अहम मुद्दा है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि हम सहयोग नहीं करने जा रहे हैं इसलिए वार्ता विफल हो गई। 2016 से हम प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ। पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि डिक्री अतिरिक्त पानी के लिए थी। नहर का निर्माण अभी होना बाकी है। हरियाणा को अतिरिक्त पानी मिलना चाहिए या नहीं, यह मुद्दा ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हमने मध्यस्थता के लिए प्रयास किए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में कहा गया है कि दोनों मध्यस्थता के लिए सहमत हो गए हैं।ASG ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जल शक्ति मंत्री ने बैठक की और जल बंटवारे पर विचार करने के लिए समिति गठित की है। दोनों राज्यों के मुख्य सचिव समिति के अध्यक्ष हैं और 1 अप्रैल 2025 को इस मामले में एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया गया था।