छत्तीसगढ़ कोयला परिवहन मामले में आरोपी की अंतरिम जमानत को नियमित जमानत में बदलने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ED पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले 10 साल में PMLA के पांच हजार मामलों में सिर्फ 40 में ही सजा हुई है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने ED से कहा कि आपको अभियोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि य़ह ऐसे गंभीर आरोप हैं जो इस देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां आप कुछ व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों पर जोर दे रहे हैं। इस तरह के मौखिक सबूतों से क्या होगा? कल वो इस पर कायम रहते भी हैं या नहीं, ऐसे मे कुछ वैज्ञानिक साक्ष्य तो होने ही चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप सिर्फ गवाहों के बयान पर निर्भर नहीं रह सकते आपको वैज्ञानिक सबूत भी जुटाने चाहिए। आप घोड़े के आगे गाड़ी मत लगाइए। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस उज्जल भुइयां ने भी कहा PMLA के तहत पांच हजार मामलों में से 40 में ही दोषसिद्धि हुई है। अब आप (ED) कल्पना कर सकते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन मामले में आरोपी की अंतरिम जमानत को नियमित जमानत मे बदल दिया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कोयला परिवहन पर अवैध लेवी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार छत्तीसगढ़ के व्यवसायी सुनील कुमार अग्रवाल को अंतरिम जमानत दी थी, उस समय कोर्ट ने कहा था कि वह पहले ही एक साल और सात महीने से जेल मे हैं। उन्होंने इस अंतरिम जमानत को नियमित जमानत मे बदलने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई थी।