दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े CBI केस में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी पक्ष को लिखित दलील जमा करनी है, तो वो पक्ष शनिवार तक जमा कर सकता है। अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है। दरअसल, गुरुवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ में सुनवाई शुरू होते ही केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि PMLA के तहत दोहरी शर्तों का प्रावधान है। इन सख्त नियमों के बावजूद हमारे पक्ष मे दो फैसले हुए है। दो नियमित जमानत के आदेशों का हवाला दिया जिसमें एक निचली अदालत का और दूसरा सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। इसके अलावा भी सिंघवी ने कई हवाले और दलीलें रखते हुए विभिन्न टाइम लाइन यानी कब क्या हुआ इसकी जानकारी कोर्ट को दी, अगस्त 2022 से अप्रैल 2023 का जिक्र किया।सिंघवी ने कहा कि CBI ने केजरीवाल को मामले में दो साल बाद गिरफ्तार किया गया, य़ह इन्श्योरेंस अरेस्टिंग है क्योंकि दो साल तक कोई गिरफ्तारी नही हुई थी। य़ह गिरफ्तारी इसलिए की गई ताकि केजरीवाल को जेल में ही रखा जा सके।
मगुंटा रेड्डीे के बयान के अलावा कोई नया सबूत नहीं: सिंघवी
सिंघवी ने कोर्ट को मनी लॉन्ड्रिंग केस में अंतरिम ज़मानत मिलने के आदेश की जानकारी देते हुए कहा कि ED मामले में अंतरिम जमानत खतम होने के बाद में दो जून को वापस अरविंद केजरीवाल जेल गए। 20 जून को ED के मामले में मुझे निचली अदालत से नियमित जमानत मिली, उसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से PMLA के मामले मे अंतरिम जमानत मिल गई और कुछ मुद्दों को बडी बेंच को रेफर किया है। सिंघवी ने कहा कि पिछले दो सालो में CBI की तरफ से कोई गिरफ्तारी नहीं हुई और CBI ने अरविंद केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार किया। वो भी उन बयान के आधर पर किया जो आधारों पर गिरफ्तारी की वो बयान जनवरी के थे। उन्होंने उन बयान का जिक्र करते हुए कहा कि CBI के पास मगु़टा रेड्डी के बयान के अलावा कोई नया सबूत नहीं है, जो कि जनवरी का है।
गिरफ्तारी मनमान ढंग से नहीं की जा सकती: केजरीवाल
सिंघवी ने कहा कि CBI उनकी द्वारा गिरफ्तारी केवल एक आधार पर हुई की अरविंद केजरीवाल पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे। सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि ED मामले में अंतरिम जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी गिरफ्तारी के तरीके की आलोचना करते हुए कहा था। एजेंसी द्वारा गिरफ्तारी मनमाने ढंग से और अधिकारियों की मर्जी के आधार पर नहीं की जा सकती। दूसरा आरोपी की गिरफ्तारी केवल जांच के उद्देश्य से नहीं की जा सकती। तीसरा जांच अधिकारियों को गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति के लिए मौजूद सामग्री को चुनिंदा तरीके से चुनने की अनुमति नहीं दी जा सकती। एजेंसी को अन्य सामग्री पर भी समान रूप से ध्यान देना होगा जो आरोपी को दोषमुक्त कर सकती है।
केजरीवाल की गिरफ्तारी इंसयोरेन्श अरेस्ट: सिंघवी
सिंघवी ने गिरफ्तारी पर सवाल उठते हुए कहा कि इस तरह गिरफ्तार तब किया जाता है जब जांच प्रभावित होने की सम्भावना हो लेकिन यहा तो मैं जेल में था। जब दो सालों के जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया तब अब गिरफ्तारी क्यों? बिना किसी आधार के अचानक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि CBI ने CrPC की धारा 41ए के तहत जांच और पूछताछ के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। यह इस बात का सबूत है कि CBI पहले केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं करना चाहती थी। CBI इस मामले में सिर्फ इंसयोरेन्श अरेस्ट करना चाहती थी। उसके पास कुछ नया आधार नही है। सिंघवी ने बताया कि ट्रिपल टेस्ट की शर्ते मेरे फेवर में है। दिल्ली की इस शराब नीति के कथित घोटाला मामले में ED ने नौ चार्जशीट और CBI मामले में पांच चार्जशीट दाखिल की है। उन्होंने कहा कि मुझे लेकर कोई फ्लाइट रिस्क नहीं है,सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने का भी रिस्क नहीं है। इस लिए जमानत की जो शर्ते है वो मेरे पक्ष में है।
केजरीवाल को गिरफ्तार करने की क्या जरूरत थी?: सिंघवी
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक सवाल यह है कि क्या जमानत के मामले में हम इतनी देर तक सुनवाई करनी चाहिए? क्या आम लोगों को भी इतना समय मिलता है? हालांकि इस मामले में CBI की तरफ से पेश हो रहे ASG ने य़ह कहा कि याचिकाकर्ता ने जितना समय अपनी दलील रखने में दिया है, एजेंसी को भी उतना ही समय दिया जाना चाहिए। सिंघवी ने कहा कि उन्होंने कहा कि 2023 में CBI ने केजरीवाल को गवाह के तौर पर बुलाया। इस साल मार्च मे आचार संहिता लगी, फिर जून में उनको गिरफ्तार किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 10 मई को अंतरिम जमानत पर रिहा किया और जून में ट्रायल कोर्ट ने जमानत दी तो फिर गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी? CBI को गिरफ्तारी की इतनी जल्दी क्या थी? जबकि जून में निचली अदालत ने उनको जमानत दे दी। उन्होंने पूछा कि हिरासत में रहने के दौरान तीन महीने में क्या हुआ?
केजरीवाल को छोड़कर सह-आरोपियों को मिल चुकी है जमानत: सिंघवी
सिंघवी ने कहा कि निचली अदालत का कहना है कि गिरफ़्तारी का समय थोड़ा अजीब है, वो ट्रिपल टेस्ट पूरी तरह से संतुष्ट है। यह एक विडंबना है कि अब सिर्फ एक को छोड़ कर इस मामले के सह-आरोपी सिसोदिया, कविता, बुची बाबू ,विजय नायर सभी को जमानत मिल गई है। उन्होंने कहा कि कोर्ट उन्हें जमानत के लिए अब ट्रायल कोर्ट को वापस नहीं भेज सकते क्योंकि ऐसा करना सिर्फ मामले में देरी करने की कवायद होगी। ASG ने सिंघवी की दलील पर आपत्ति उठाते हुए कहा कि क्या वह जमानत पर या गिरफ्तारी पर बहस कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि इसके लिए हमारे पास प्रारंभिक आपत्तियाँ हैं। वह दोनों मामलो को मिला नहीं सकते, हालांकि सिंघवी ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि मुझे अपनी दलील पूरी करने दी जाए।
जमानत नियम और जेल अपवाद: सिंघवी
सिंघवी ने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है, सुप्रीम कोर्ट का य़ह फैसला ED और CBI केस में भी लागू होगा।केजरीवाल केस में भी लागू होगा। सिंघवी ने अपनी दलील पूरी करते हुए कहा कि रिहाई के कई आदेश दिए गए लेकिन ट्रिपल टेस्ट मामले में जमानत नहीं दी गई। वैसे भी केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं है और न ही वो कोई खूंखार अपराधी नहीं है। जमानत मिलने पर ट्रायल के दौरान उनका सहयोग रहेगा और जब कोर्ट बुलाएगी वो कोर्ट के आदेश पर मौजूद रहेंगे। वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पूरी होने के साथ CBI की तरफ से ASG एस वी राजू दलील देते हुए केजरीवाल की याचिका का विरोध किया।
हम तय करेंगे की क्या इस मामले हमें दखल देना है या नहीं: SC
ASG एसवी राजू ने हाई कोर्ट द्वारा केजरीवाल की जमानत याचिका को खारिज करने के आदेश को पढ़ा। ASG ने कहा कि कविता के मामले में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत जाने को कहा था जबकि केजरीवाल के ED मामले में भी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। उस मामले में भी उन्हे वापस ट्रायल कोर्ट भेजा गया था। ऐसे में केजरीवाल कोई असाधारण व्यक्ति नहीं हैं, जिनके लिए अलग दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि हम तय करेंगे की क्या इस मामले हमें दखल देना है या नहीं। कोर्ट ने यह बात तब कहीं जब CBI ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल ने जमानत याचिका निचली अदालत में दाखिल न कर के सीधे हाई कोर्ट में दाखिल की थी।
केजरीवाल को जमानत के लिए पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए: CBI
ASG ने कहा कि गिरफ़्तारी और ज़मानत के फ़ैसले एक साथ सुनाए गए। हाईकोर्ट पर बहुत ज़्यादा बोझ है, जब ऐसे मामले आते हैं तो उनका पूरा बोर्ड अव्यवस्थित हो जाता है। मामले की सुनवाई छुट्टी के दिन हुई क्योंकि वह एक विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति है। वही सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई किए बगैर निचली अदालत भेजने पर सवाल उठाते हुए कहा कि केस को वापस भेजने के बजाय हाईकोर्ट को इस पर विस्तृत सुनवाई करनी चाहिए थी। ASG हर आम आदमी को जमानत के लिए पहले निचली अदालत जाना होता है। यह हाई कोर्ट द्वारा अचानक फैसला नहीं लिया गया था, उन्हें नोटिस दिया गया था। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि हाई कोर्ट इस पर फैसला ले सकता क्योंकि वह जीवन और स्वतंत्रता के मामलों पर निर्णय ले सकता है।
कोर्ट की अनुमति से केजरीवाल की हुई गिरफ्तारी: CBI
ASG ने इसपर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल इसलिए कि व्यक्ति प्रभावशाली है, वह सांप-सीढ़ी का खेल खेल सकता है। ऐसा तो आम लोगों के लिए भी जमानत के लिए पहले निचली अदालत जाना होता है, इसलिए उन्हें भी निचली अदालत जाना चाहिए। CBI ने कहा कि जब इस तरह के वरिष्ठ वकील पेश होते हैं तो हाई कोर्ट यह नहीं कह सकता कि निचली अदालत चले जाओ इसलिए उन्हें नोटिस दिया गया था। ASG ने कहा कि जहा तक गिरफ़्तारी का सवाल है, गिरफ्तारी भी जांच का हिस्सा है क्योंकि एजेंसी को अगर जांच करने का अधिकार है तो उसे गिरफ़्तारी का भी अधिकार है। जहा तक इस मामले की बात है मैंने जो अनुमति कोर्ट से मांगी थी, कोर्ट ने उसे स्वीकार कर लिया गया। कोर्ट ने मुझे अधिकार दिया है। इसलिए सेक्शन 41 यहा लागू नहीं होता। हालांकि कोर्ट ने लंच पर उठने से पहले राजू से कहा कि वह अपनी दलील आधे घंटे में पूरी करें। इस पर राजू ने कहा कि उन्हें और ज्यादा समय चाहिए। हम तय करेंगे की क्या इस मामले हमें दखल देना है या नहीं।
हवाला के जरिए दिल्ली से गोवा 44.54 करोड़ रुपए भेजे गए: CBI
लंच के बाद सुनवाई के दौरान ASG एसवी राजू ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों और साउथ ग्रुप से 36 पन्नों का दस्तावेज़ मिला। जिसमे 15 अप्रैल को केजरीवाल ने लीकर पॉलिसी को मंजूरी दी थी वो भी तब हुआ जब कोविड अपने चरम पर था।ASG ने कहा कि हवाला के ज़रिए दिल्ली से गोवा 44.54 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। इसका इस्तेमाल AAP ने गोवा चुनाव में किया। इसकी पुष्टि अप्रूवर दिनेश अरोड़ा ने भी की। ASG ने कोर्ट को CBI की उस अर्जी को पढ़ कर बताया जिसमे निचली अदालत से केजरीवाल की गिरफ्तारी की मांग की गई थी। उस अर्जी में जिक्र किया गया था कि कैसे कोविड़ जब चरम पर था उस समय शराब नीति को मंजूरी दी गई और करीब 45 करोड़ रुपए चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली से गोवा भेजा गया। ASG ने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी की इजाज़त देने वाले निचली अदालत के आदेश को अब तक चुनौती नहीं दी है।
गिरफ्तार के लिए कानूनी प्रकिया का किया गया पालन: CBI
ASG ने कहा कि हमारी अर्जी को निचली अदालत ने स्वीकार किया। उसके बाद वारंट जारी किया गया और उसके बाद हमने उनकी गिरफ़्तारी कर ली। ASG गवाहों के उन बयान को पढ़ा, जिसके मुताबिक केजरीवाल इस घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता है। ASG ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी में किसी तरह उनके मौलिक अधिकार का हनन नहीं हुआ। गिरफ्तारी के लिए उचित कानूनी प्रकिया का पालन किया गया। ED केस में केजरीवाल हिरासत में थे, तो कोर्ट की इजाजत लेकर CBI केस में उनकी गिरफ्तारी की गई। उनकी रिमांड एप्लीकेशन में गिरफ्तारी के आधार भी शामिल थे। गिरफ्तारी के दिन ही आरोपी को रिमांड कॉपी दे दिया गया था हालांकि इसकी जरूरत भी नहीं थी। ASG ने कहा कि हम व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं। हमारे पास उसे सीधे जाकर गिरफ्तार करने का अधिकार था लेकिन हमने दूसरा रास्ता अपनाया क्योंकि उसने जांच में सहयोग नहीं किया और उन्होंने एजेंसी को गुमराह किया। हमें किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।
शराब घोटाले में पंजाब का भी एंगल है: CBI
CBI ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत का भी विरोध किया। ASG ने आरोप पत्र पर दलील देते हुए कहा कि अगर आरोप पत्र दाखिल हो चुका है, तो अरविंद केजरीवाल को नियमित जमानत दाखिल करनी चाहिए, उनके खिलाफ आरोपपत्र में सब कुछ हैं।वहीं निचली अदालत ने अरविंद के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान ले लिया है। इसका मतलब है कि निचली अदालत मनाता है कि अरविंद के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत है। ASG ने कहा कि कुछ आरोपपत्रों का ज़मानत पर असर हो सकता है जैसे गवाहों को प्रभावित करना, य़ह सब हमारे जवाब में दाखिल है।ASG ने कहा कि इस शराब घोटोला मामले में पंजाब का एंगल है। महादेव लिकर के पास थोक बिक्री का लाइसेंस था। वह रिश्वत देने के लिए तैयार नहीं था इसलिए उसकी डिस्टिलरी बंद करा दी गई। जैसे ही उसने लाइसेंस सरेंडर किया डिस्टीलरी को चलाने की इजाजत दे दी गई। सिंघवी ने कहा कि अगर अरविंद ने निचली अदालत में न जा कर सीधा हाई कोर्ट का रुख किया तो इसका मतलब है की उन्होंने अपना एक चांस खोया ऐसे मे नुकसान तो अरविंद का ही हैं। इसपर CBI आपत्ति नहीं करनी चाहिए।