आगरा हवाई अड्डा परियोजना में पर्यावरण नियमों की अनदेखी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक पेड़ों को काटने से पहले उनकी क्षतिपूर्ति वाले वनरोपण नहीं किया जाता, तब तक नए पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम बहुत गंभीरता से कह रहे हैं कि किसी परियोजना के लिए कई पेड़ काटे गए हैं और उसके बाद क्षतिपूर्ति के लिए वनरोपण जैसी अनिवार्य शर्तों का पालन नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ऐसे निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश देंगे। साथ ही कोर्ट के आदेश की अवमानना का नोटिस भी जारी करेंगे। जस्टिस ओका ने कहा कि अगस्त की रिपोर्ट में पेड़ों को काटने और 100 पेड़ों के स्थानांतरण की अनुमति देने की सिफारिश की है। हम इस परियोजना के लिए इस शर्त पर अनुमति दे सकते हैं कि 286 पेड़ों की वास्तविक कटाई CIC द्वारा बताए गए 4130 पौधों के सफल रोपण और 100 पेड़ों के सफल स्थानांतरण के बाद ही की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह का हलफनामा दाखिल करने के बाद हम आवेदक को अनुमति लेने के लिए अदालत जाने की अनुमति देते हैं। इस पर उत्तर प्रदेश राज्य नागरिक उड्डयन विभाग की ओर से पेश वकील ने कहा कि CIC द्वारा लगाई गई शर्तें उन्हें स्वीकार्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है।