तिरुपति लड्डड प्रसाद में मिलावट के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ओर से SIT का गठन किया है। इस SIT में दो CBI के अधिकारी, दो आंध्र प्रदेश पुलिस के अधिकारी और एक FSSAI के अधिकारी शामिल होंगे। स्वतंत्र SIT की निगरानी सीबीआई डायरेक्टर करेंगे। अब राज्य सरकार की ओर से गठित SIT के बजाए ये नई SIT जांच करेगी। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वो नहीं चाहते कि ये मसला सियासी ड्रामा में तब्दील हो, यह मामला करोड़ो लोगों की आस्था से जुड़ा है। इसलिए वो इस मामले में स्वतंत्र SIT की जांच का आदेश दे रहे हैं। हालांकि आज SG तुषार मेहता ने राज्य सरकार की SIT पर भरोसा जताया लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र SIT गठित करने का आदेश दिया।
दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने SG तुषार मेहता से पूछा था कि क्या राज्य सरकार की SIT काफी है या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच सौंपी जानी चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री के बयान पर सवाल उठाया था। सीएम चंद्रबाबू नायडू के बयान से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाए। कोर्ट ने कहा था कि जो रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है, वो जुलाई की है, लेकिन CM इसको लेकर बयान सितंबर में जाकर दे रहे है, इस रिपोर्ट को देखकर लगता है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल ही नहीं हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब सरकार ने जाँच के लिए SIT का गठन किया है तो SIT के किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले CM को प्रेस में बयान देने की क्या ज़रूरत थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि जब जांच जारी है तो संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए जो लोगो की धार्मिक भावनाओं को आहत करे, जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस स्तर पर ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि नमूने में इस्तेमाल किया गया घी लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। जस्टिस गवई ने कहा था कि इसमें पाम ऑयल भी हो सकता है। आपने कौन सी खास मैटेरियल के बारे में बताया है जिससे पता चलता है कि इसमें चर्बी का इस्तेमाल किया गया था?