सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला दिया है कि अदालतें मध्यस्थता के फैसलों में संशोधन कर सकती हैं। बहुमत के फैसले में CJI ने कहा कि कोर्ट के पास कुछ परिस्थितियों में मध्यस्थ पुरस्कारों को संशोधित करने की सीमित शक्ति है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निम्न परिस्थितियों में अदालतें मध्यस्थ पुरस्कारों को संशोधित कर सकती है।
जानिए किन परिस्थितियों में अदालतें मध्यस्थ पुरस्कारों को संशोधित कर सकती है:
- जब पुरस्कार अलग-अलग हो।
- किसी भी लिपिकीय, गणना या टाइपोग्राफिकल त्रुटि को ठीक करना हो।
- कुछ परिस्थितियों में पुरस्कार के बाद ब्याज को संशोधित करना हो।
- कुछ परिस्थितियों में पुरस्कार के बाद ब्याज को संशोधित करना हो।
CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला दिया। हालांकि जस्टिस केवी विश्वनाथन ने अपने फैसले में असहमति की राय दी। आपको बता दें कि 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि अदालतों को मध्यस्थता निर्णयों में संशोधन करने का अधिकार है, जबकि केंद्र का कहना था कि इसे विधायिका पर छोड़ दिया जाना चाहिए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को आज तय करना था कि क्या अदालतें 1996 के मध्यस्थता और सुलह कानून के तहत मध्यस्थता पुरस्कारों को संशोधित कर सकती हैं