मथुरा के बांके बिहारी मंदिर के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब आप मध्यस्थता की बात करते हैं तो यह ध्यान रखें कि भगवान श्रीकृष्ण भी पहले मध्यस्थकार थे, इसलिए अदालत भी इस मामले में पहले मध्यस्थता का प्रयास करती है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर सवाल उठाते हुए श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर विकसित करने की परियोजना को मिली मंजूरी को स्थगित रखने को कहा है। प्रभावित पक्षों की बात नहीं सुने जाने के चलते अदालत ने राज्य सरकार से यह कहा है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने राज्य सरकार द्वारा अन्य पक्षों की जानकारी के बिना अदालत का दरवाजा खटखटाने पर नाखुशी जताई। बेंच ने मंदिर प्रबंधन की निगरानी के लिए एक अंतरिम व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। इसके तहत एक समिति का गठन किया जाएगा, जो मंदिर के कार्यों की देखरेख करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने समिति के लिए किसी पूर्व जज या वरिष्ठ वकील ने नाम का सुझाने को कहा है।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि सुनवाई कुछ दिन के लिए टाल दिया जाए, ताकि याचिकाकर्ता भी सुझाव दे सके। मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराजन ने अध्यायदेश का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार का उद्देश्य धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करना नहीं है, जबकि मंदिर के बेहतर प्रशासन के लिए अध्यायदेश लाया गया है। नटराजन ने कहा कि मंदिर में दर्शन करने के लिए प्रत्येक दिन हजारों लोग आते है। मंदिर कोष में गड़बड़ी न हो इसको रोकने के लिए अध्यायदेश लाया गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई को 8 अगस्त तक के लिए टाल दिया। अब दोनों पक्षों की ओर से समिति गठन के लिए अदालत को नाम सुझाए जाएंगे। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि आप एक धार्मिक स्थल को “निजी” कह रहे है, यह एक भ्रम है। कोर्ट ने कहा था कि जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं वह निजी कैसे हो सकता है?
कोर्ट ने कहा था कि प्रबंधन निजी हो सकता है, लेकिन कोई देवता निजी नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए अंतरिम व्यवस्था का प्रस्ताव दिया है, जिसमें एक रिटायर्ड हाई कोर्ट जज या वरिष्ठ जिला जज को मंदिर का प्रबंधक बनाने का सुझाव दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि फिलहाल यूपी सरकार के अध्यादेश की संवैधानिकता की जांच नहीं कि जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विकास कार्यों के लिए रिटायर्ड जज की अगुवाई वाली समिति को सीमित फंड के उपयोग की अनुमति दी जा सकती है। कोर्ट ने धार्मिक पर्यटक को बढ़ावा देने की बात कही, और तिरुपति, शिरडी जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए सभी पक्षों से सुझाव मांगे थे