प्रयागराज में 2021 में हुए बुलडोज़र एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर घर गिराने को अवैध बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज डेवलपमेंट ऑथोरिटी को हर याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजा इसलिए भी ज़रूरी कि भविष्य में सरकारें बिना उचित प्रक्रिया मकान गिराने से बचें। दरअसल, 2021 में प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य के घरों को ध्वस्त करने से जुड़ा मामला था।
जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है। राइट टू शेल्टर नाम की कोई चीज होती है, उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है और उसका पालन होना चाहिए। जस्टिस अभय एस ओका ने आगे कहा कि अब हम नोटिस देने के तरीके के बारे में निष्कर्ष दर्ज करेंगे, यह चिपकाने का काम खत्म होना चाहिए, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हमारे पास अपनी लागत पर घर के पुनर्निर्माण के लिए पैसे नहीं है, संरचनाएं क़ानून से पहले की हैं, कुछ मुआवज़ा दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि वे घर का पुनर्निर्माण नहीं करना चाहते?याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि उनके पास साधन नहीं हैं।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि उनके पास वैकल्पिक व्यवस्था है। जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई के नोटिस चिपकाने का काम बंद होना चाहिए। सुनवाई के दौरान पीठ में शामिल दूसरे जज जस्टिस उज्जल भुईयां ने कहा कि यूपी के अंबेडकर नगर 24 मार्च की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक तरफ झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा था तो दूसरी तरफ एक 8 साल की बच्ची अपनी किताब लेकर भाग रही थी, इस तस्वीर ने सबको शॉक्ड कर दिया था।